अरावली पर्वत श्रंखला न केवल राजस्थान बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए जीवन रेखा के समान है : बाबूलाल जाजू
भीलवाडा। (पंकज पोरवाल) इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज भीलवाड़ा चैप्टर द्वारा हरणी की पहाड़ी पर अरावली पर्वत श्रंखला से जुड़े हालिया सरकारी निर्णय के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन के माध्यम से अरावली क्षेत्र में हो रहे निरंतर हस्तक्षेप, खनन और संरक्षण से जुड़े निर्णयों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम एक ज्ञापन भी प्रेषित किया गया। इंटेक भीलवाड़ा चैप्टर के कन्वीनर बाबूलाल जाजू ने बताया कि अरावली पर्वत श्रंखला न केवल राजस्थान बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए जीवनरेखा के समान है। यह पर्वत श्रृंखला जल संरक्षण, पर्यावरण संतुलन, जैव विविधता एवं सांस्कृतिक विरासत की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। हालिया निर्णयों से अरावली का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है, जिसका दूरगामी दुष्परिणाम आने वाली पीढ़ियों को भुगतना पड़ेगा। प्रदर्शन के दौरान इंटेक सदस्यों ने हाथों में तख्तियां और बैनर लेकर "लालच हटाओ, अरावली बचाओ", "अरावली फटी तो जीवन की डोर कटी", "अरावली है राजस्थान की ढाल, इसे बचाना है हर हाल" तथा "अरावली बचेगी तो जीवन बचेगा" जैसे नारे लगाकर सरकार और प्रशासन का ध्यान अरावली संरक्षण की ओर आकृष्ट किया। इस अवसर पर सीए दिलीप गोयल, अब्बास अली बोहरा, गुमान सिंह पीपाडा, राजकुमार बुलिया, गोपाल नराणीवाल, विद्यासागर सुराणा, मुकेश अजमेरा, हरकलाल बिश्नोई, बीलेश्वर डाड, ओम सोनी, प्रभात जैन, अनुग्रह लोहिया, बनवारी साहू, तेज सिंह पुरावत, शंकर जाट, कुलदीप सिंह, भगवत सिंह, सत्यप्रकाश, सावित्री तेली एवं परमिंदर सिंह सहित कई पर्यावरण प्रेमी और इंटेक सदस्य उपस्थित रहे। ज्ञापन में राष्ट्रपति से मांग की गई कि अरावली पर्वत श्रंखला को राष्ट्रीय प्राकृतिक विरासत के रूप में मान्यता दी जाए। साथ ही हालिया निर्णयों एवं नीतियों पर पर्यावरणीय, ऐतिहासिक और विरासत संरक्षण के दृष्टिकोण से पुनर्विचार किया जाए। इंटेक ने अरावली क्षेत्र में खनन गतिविधियों पर सख्त नियंत्रण, अवैध खनन पर पूर्ण प्रतिबंध और दीर्घकालीन संरक्षण नीति लागू करने की भी मांग की। जाजू ने कहा कि यदि समय रहते अरावली का संरक्षण नहीं किया गया, तो इसका सीधा असर जल संकट, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता पर पड़ेगा। इंटेक ने आमजन से भी अरावली संरक्षण के लिए जागरूक होने और इस जन आंदोलन से जुड़ने की अपील की।


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