Image 1
Image 2
Image 3
Image 4

सैकड़ो परिवारों ने पांच-पांच पीढ़ियां बिताई मेवाड़ में लेकिन बरकरार है दुर्गा पूजा ,सिंदूर खेला के साथ बंगाली समाज ने दी मां दुर्गा को विदाई 


सैकड़ो परिवारों ने पांच-पांच पीढ़ियां बिताई मेवाड़ में लेकिन बरकरार है दुर्गा पूजा ,सिंदूर खेला के साथ बंगाली समाज ने दी मां दुर्गा को विदाई 

भीलवाड़ा: वैसे तो भारत में दुर्गा पूजा बंगाल का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है अब इसकी भव्यता और परंपरा मेवाड़ की टेक्सटाईल सिटी भीलवाड़ा में भी देखने को मिल रही है जहा लगभग पांच पीढ़ियो से वस्त्र नगरी भीलवाड़ा में रह रहे 400 बंगाली परिवारों ने मेवाड़ी संस्कृत में घुल मिल जाने के बावजूद अपने दुर्गा पूजा के पर्व की इस पारंपरिक रीति रिवाज और आस्था के साथ नेताजी सुभाष बंगाली समिति की अगुवाई में मनाया जा रहा है।

नवरात्रि के बाद दशहरे पर बंगाली परिवार की सैकड़ो महिलाएं अपने पारंपरिक वेशभूषा में सज्ज-धज्ज कर मां दुर्गा की पूजा अर्चना की इस दौरान सिंदूर खेला के साथ मां की विदाई की बेला भी आई इसमें शामिल बंगाली महिलाओं ने पहले मां की विशेष पूजा अर्चना की इस दौरान बंगाली महिलाएं एक दूसरे की मांग मे आपस में सिंदूर भरती भी नजर आई।

 जहां विजयदशमी के दिन दुर्गा पूजा कर रही बंगाली महिला राखी घोष ने कहा कि दुर्गा पूजा का हमें साल भर इंतजार रहता है मां दुर्गा नवरात्रि स्थापना से ही अपने परिवार के साथ अपने पीहर आती है हम नवरात्रि के बाद विजयदशमी को आपस में मांग में सिंदूर भरते हैं और मां दुर्गा का विसर्जन किया जाता है।

 जह नेताजी सुभाष बंगाली समिति भीलवाड़ा के अध्यक्ष अजय सिन्हा ने कहा कि दुर्गा पूजा हमारे लिए एक पूजा त्यौहार और हमारा इमोशन है हम 5 दिन तक अपना सारा काम- काज छोड़कर मां दुर्गा की आराधना में लगे रहते हैं पिछले 28 सालों से भीलवाड़ा में दुर्गा पूजा भव्य रूप से जारी है 
सिंदूर खेला में भाग लेने वाली राखी घोष और नलिनी घोष ने बताया कि हम बंगाली लोग तो दुर्गा पूजा के लिए जीते हैं हमारे रक्त में मां दुर्गा है मां दुर्गा इन नवरात्रों में अपने परिवार सहित पीहर आती है और फिर अपने ससुराल चली जाती है हम उनसे आराधना करते हैं कि हमारा यह साल हंसी-खुशी व सुख समृद्धि से बीते और अगले वर्ष मां एक बार फिर आशीर्वाद देने आना 

 बाईट - राखी और नलिनी घोष
बंगाली महिलाए