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रेलवे विभाग की विशेष पार्सल परिवहन योजनो से उद्योगों में कम होगी लागत: विवेक रावत



रेलवे के चीफ कॉमशियल मेनेजर एवं उद्यमियों से मेवाड़ चैम्बर मे हुई सम्पर्क वार्ता आयोजित

 भीलवाडा। (पंकज पोरवाल) उद्योगों को अपने माल परिवहन में सड़क मार्ग से परिवहन के बजाय से परिवहन में न केवल लागत कम होगी वरन उद्योगों को कॉर्बन क्रेडिट जिम्मेदारियों में भी कमी आएगी। भारतीय रेलवे की ओर से अब देेश में आन्तरिक माल परिवहन के साथ शीघ्रता से निर्यात माल को बन्दरगाहों तक पहुंचाने के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे है। कन्टेनर लोड परिवहन के लिए चिन्हित स्थानों पर कन्टेनर डीपों बनाये जाएगे। इसी श्रृंखला में भीलवाड़ा के औद्योगिक माल परिवहन के लिए मण्डपिया, लाम्बिया आदि स्टेशनों को चिन्हित कर वहां की लॉजिस्टिक स्टेडी करवाई जा रही है। छूटकर माल परिवहन के लिए हम विशेष पार्सल परिवहन योजना बना रहे है, जिसके तहत रेलवे की ओर से आपके स्थान से माल उठाकर ले जाया जाकर गनत्वय स्थान पर पहुंचाया जाएगा। इस प्रणाली के लिए हम एप व्यवस्था भी विकसित कर रहे है। यह बात उत्तर पश्चिम रेलवे मुख्यालय के चीफ कॉमशियल मेनेजर फ्रेट मार्केटिंग विवेक रावत ने मेवाड़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री मे आयोजित उद्यमियों से सम्पर्क वार्ता के दौरान कही। सम्पर्क वार्ता में रेलवे के सहायक वाणिज्य प्रबंधक राजकुमार एवं भीलवाडा सीएमआई गोवर्धन भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में मानद महासचिव आर के जैन, जेडआरयूसीसी सदस्य वी के मानसिंगका अतिथियों का मार्ल्यापण कर स्वागत किया।  
उन्होंने कहा कि रेलवे से माल परिवहन में कई पॉलिसी बॉटलनेक भी है, उन्हें दूर करने के प्रयास किया जा रहा है। नई प्रणाली विकसित करने एवं सुझाव हेतु उत्तर पश्चिम रेलवे ने आईआईएम उदयपुर को जिम्मेदारी दी है। इसी श्रृंखला में उद्योगों की समस्याओं को समझने के लिए आज यह बैठक रखी गई है। बैठक के दौरान चौम्बर के मानद महासचिव आर के जैन ने कहा कि रेलवे को माल परिवहन की परम्परागत नीतियों को छोड़कर बिजनेस मॉडल विकसित करना चाहिए। मयूर इंटरनेशनल मेराइन सर्विस के बी एस पंवार ने कहा कि भीलवाडा से बहुत ट्रेनें चलती है, उनके एसएलआर एवं पार्सल कोच में निर्यात हेतु छूटकर माल परिवहन में किया जा सकता है। प्रारम्भ में यह योजना बान्द्रा वाली ट्रेनों के लिए लागू कर सकते है। आरएसड्ब्ल्यूएम गुलाबपुरा के वी के मेहता ने कहाकि भीलवाड़ा के टेक्सटाइल उद्योगों का निर्यात के अलावा भी लुधियाना, त्रिपुर, कोलकाता आदि स्थानों पर माल जाता है। अगर रेलवे की लागत एवं समय पर डिलेवरी सडक ट्रांसपोर्ट के मुकाबले अच्छी होगी तो स्वाभाविक रुप से रेलवे को प्राथमिकता मिलेगी। चौम्बर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ आर सी लोढा ने कहाकि जैसे पेसेंजर के लिए लम्बी दूरी में किराया क्रमशः कम होता जाता है, वैसे ही माल परिवहन में लम्बी दूरी में क्रमशः कम करने से माल परिवहन में बढोतरी होगी। सहयोग सिल्क मिल्स के एन के जैन ने कहाकि अगर माल परिवहन के वोल्यूम के अनुसार रेलवे वार्षिक भाड़ा दर का अनुबंध की योजना बनाती है तो उद्योग इसकी ओर आकर्षित होगें।