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सांवरिया सेठ मंदिर में भरा अमावस्या मेला,'मीरा' के भजनों से गूंजा नौगांवा

 

 

विश्व शांति के लिए अनुष्ठान,  गो परिक्रमा का महत्व समझा

 

 

भीलवाडा। (पंकज पोरवाल)  श्री सांवलिया सेठ मंदिर ट्रस्ट की ओर से नौगांव स्थित सांवलिया सेठ मंदिर में अमावस्या के पावन अवसर पर भव्य मेले का आयोजन किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने उपस्थित होकर धर्म लाभ लिया और विश्व शांति की कामना को लेकर मुख्य यजमान भेरूलाल मनीष चोरडिया की मौजूदगी में पंडित रमाकांत ने विशेष अनुष्ठान संपन्न कराया। इस मौके पर मंदिर में ध्वजा भी चढ़ाई गई। मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष गोविंद प्रसाद सोडाणी ने बताया कि इस धार्मिक आयोजन में कृष्ण भक्त मीरा बाई के भजनों की प्रस्तुति दी गई। पायो जी मैंने राम रतन धन पायो। वस्तु अमोलिक दी मेरे सतगुरु, किरपा कर अपनायो। मेरो तो गिरधर गोपाल, दूसरो कोई। जाके सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई। पर भक्तजन झूम उठे। इस दौरान गो परिक्रमा का महत्व भी बताया गया। गो परिक्रमा को हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। यह केवल एक धार्मिक कृत्य नहीं, बल्कि गाय के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका है। गौ माता में तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं का वास माना जाता है। उनकी परिक्रमा करने से समस्त देवी-देवताओं और तीर्थों की यात्रा का फल प्राप्त होता है। परिक्रमा, व्यक्ति के जन्म-जन्मांतर के पापों का शमन करती है, क्योंकि गाय अपने गोबर, गोमूत्र और दूध से संपूर्ण मानव समाज का कल्याण करती है। परिक्रमा करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह पर्यावरण और प्राणी मात्र के प्रति करुणा का भाव भी जगाती है। इसलिए शास्त्रों में गौ परिक्रमा को मोक्ष का मार्ग बताया गया है। मंदिर में आयोजित अनुष्ठानों और भजनों का भक्तों ने श्रद्धापूर्वक श्रवण किया और प्रसाद ग्रहण किया।